शेर और सियार
एक जंगल में एक शेर अपने परिवार के साथ रहता था। वह बहुत आलसी और आरामतलब था शेरनी ही शिकार करने जाती थी। एक दिन शेरनी बीमार पड़ गई। उसके बच्चे भूख से छटपटा रहे थे। शेरनी ने शेर से कहा, "तुम कैसे पति और पिता हो? क्या तुम एक दिन भी शिकार पर नहीं जा सकते? तुम्हारे बच्चे भूखे हैं और तुम मंजे से पड़े हो ? धिक्कार है तुम्हारी बहादुरी को। " शेरनी की फटकार सुनकर शेर जोश में आ गया। कुछ ही देर में यह एक बैल का शिकार कर उसे घसीट लाया शेरनी खुश हो गई। बच्चों ने भरपेट भोजन किया। शेर की गुफा के पास ही एक सियार भी अपने परिवार के साथ रहता था। शेर की नकल करके सियार भी आलसी बन कर अपनी गुफा में पड़ा रहता था। सियारिन ही शिकार करने जाती थी। एक दिन रियारिन बीमार पड़ गई। खाने को कुछ न था। उसके बच्चे भी भूखे थे सियारिन ने सियार से कहा, "उस दिन शेरनी बीमार पड़ गई थी, तो शेर एक बैल का शिकार कर लाया था। आज तुम शिकार नहीं करोगे तो बच्चों का पेट कैसे भरेगा?'' सियार ने कहा, "ठीक है, आज तू मेरी बहादुरी देख ! मैं अभी शिकार कर ले आता हूँ। " • सियार शिकार करने निकल गया। रास्ते में उसे भी एक बैल मिला। सियार ने न आव देखा न ताव। वह बैल पर टूट पड़ा। लेकिन बैल ने सियार को अपने सींगों पर उठाकर दूर फेंक दिया। बेचारे सियार की हड्डी पसली नरम हो गई। वह बहुत मुश्किल से अपनी गुफा तक पहुँच पाया। उसकी दुर्दशा देखकर सियारिन को हँसी आ गई। वह बोली" तुम्हें तो मुर्गे या खरगोश का शिकार करना चाहिए था। लेकिन तुम तो चले थे शेर बनने! इसलिए तुम्हारी ऐसी दुर्गति हुई। " सीख : बिना सोचे-समझे नकल करने का परिणाम बुरा होता है।
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